Sunday, November 25, 2012


गजल-१३ 


कहियो दिवाली त कहियो रमजान मनि गेल
मंदिर आ मस्जिदक नामे त देश हक़नि गेल 

पाहिले एक्कहि गाछक दु गोट ठैढ छल दुनू
आइ काल्हि एक दोसर सँ अनजान बनि गेल  

छल संगहि संग कष्ट सह्बाक काल सदिखन 
सुखक घड़ी म सनकल आ अरारि ठनि गेल 

राम आर रहीम म कोनो अंतर कहाँ छलैक 
धर्मक नामे तहन कोना शोणित तपनि गेल 

होली म खाइत पुआ आ ईदक सेवई बँटाय
मुल्ला आ पंडित मुदा सभटा स्नेह दफनि गेल  

भगवान आ अल्लाह त एक्कै बना पठौने छला
नहिं जानि कोना हिन्दू आ मुसलमान बनि गेल 

गाँधी जिन्ना नेहरु आ गफ्फार सबहक "राजीव"
सनकी सभ दंगा फसाद कए मान हनि गेल 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१८)
राजीव रंजन मिश्र 

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