सफ़र जिंदगी का ये बेहद सुहाना रहेगा
जूबां पर सभी के तेरा ही फ़साना रहेगा
जूबां पर सभी के तेरा ही फ़साना रहेगा
हरेक बुलंदी कदम चूम लेगी तेरे एक दिन
गर जहाँ में निस्वार्थ रहकर बेगाना रहेगा
गर जहाँ में निस्वार्थ रहकर बेगाना रहेगा
भटकेगा जब तक तू खुशियों की चाहत में
मुश्किल तेरा खुल कर मुस्कुराना रहेगा
मुश्किल तेरा खुल कर मुस्कुराना रहेगा
ज़माने ने हरदम सबको नवाजा है गम से
दस्तूर जारी इस जहाँ का यह पुराना रहेगा
शिद्दत से बस तू लगे रह करम में रे मानव
लबे साज़ पे मचलता ख़ुशी का तराना रहेगा
लबे साज़ पे मचलता ख़ुशी का तराना रहेगा
अरमानों को संजो कर रख तू इत्मीनान से
हमेशा किसी एक का ना होकर जमाना रहेगा
हमेशा किसी एक का ना होकर जमाना रहेगा
"राजीव"भला क्यूँ सोचता है तू कुछ पाने की
जिवन सफ़र में कब तक बना दिवाना रहेगा
राजीव रंजन मिश्र
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