बरसल नै
तरसेलक खुब,
हकासल छी!
मेघ बाजल
घन बरसल त,
छी हरखित !
बरसय छै
तरसबय छल,
हरियर छी !
भीजल माटि
सोन्ह्गर गमक,
नीक लगैत !
खेत पथार
सीचैल जे जल स,
हरिया गेल !
चहकै गाबै
चिरै चुनमुन जे,
पानि पाबि क !
बरखा भेल
ख़ुशी जनजीवन,
छल जरुरी !
राजीव रंजन मिश्र
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