Sunday, November 25, 2012


हिंदी गजल ४  

कोई फिकर नही उन्हें इस मासूम जान का
चाहे उठायी जाये भले जनाजा अरमान का 
  
कोई मुझे बताये उनकी ख़ामोशी का सबब
हम सोच के परेशां है आने वाले तूफ़ान का

यार अब क्या सीना चीर कर दिखाई जाये
क्या हाल कर रखी है उसने बदगुमान का

सूनी सहमी सी आँखों में है मुद्दत से इंतज़ार
कोई  उन्हें याद दिलाये पता मेरे मकान का

जब हसरत भरी निगाहें देखी कभी "राजीव"
जेहन में उठी याद सी उस जुल्मी नादान का 

राजीव रंजन मिश्र 

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