कृष्ण जन्माष्टमीक शुभ अवसर आ जन्मक बाद बधैय्या नहि होइक त मोन नै मानत,प्रस्तुत अछि अपने लोकनिक समक्ष एक गोट रचना बधैय्याक रूप में....विस्तृत प्रतिक्रियाक आकांक्षा रहत आ बाट जोहब:
भक्ति गजल-३
प्रगटल कृष्ण कन्हैय्या सभ गाबै बधैय्या छथि
मंगल दीप जराबै जन्मल रास रचैय्या छथि
नारद जी नाचथि आर संग में ब्रम्हा जी नाचथि
तिर्पित सभ छै शंकर जी नाचै ता ता थैय्या छथि
गोकुल में सभ मिलि ढोल बजाबै मगन भए
नर नारि बिहूँसि क' सगरो गाबै सवैय्या छथि
नन्दराय दुन्नू हाथे लुटाबै छथि हीरा आ मोती
स्नेह विभोर भ' निहूँछथि यशोमति मैय्या छथि
साधू संत सभ हरषि धाओल चंहु दिसि सँए
कष्ट निवारण ला आयल माखन खबैय्या छथि
सगरो ब्रज गोकुल हरिआओल रातहिं राति
मोर मुकुट धारी त' संसारक रखवैय्या छथि
चेतथि अपना के कंस आ दुर्योधन सभतरि
आयल मनमोहन कालिया नाग नथैय्या छथि
"राजीव" मगन भए मनबय कृष्ण जन्मोत्सव
दैत सभके सगरो कृष्णाष्टमिक बधैय्या छथि
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१८)
राजीव रंजन मिश्र
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