Sunday, November 25, 2012


           गजल-१२ 

आई मोन बेदर्दी पागल अछि
कतेक दिनक पियासल अछि  

नहि जानि हैत की आजुक राति
टेमी स ततारल दागल अछि

पोखरिक थम्हल पानि में जेना 
पाथर क्यउ एक मारल अछि

नहिं जानि हम सम्हरब कोना 
करेज हमर त डाढल अछि 

बुझबी एकरा हम परतारी
नै जानि अनेरो हकासल अछि

मानल नहि एक्को बात हमर 
"राजीव" बेकल भ' फाटल अछि 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १२)

राजीव रंजन मिश्र

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