बेटाक बाप के मोटगर दहेज़ ल
नित्य बनैत संघाती देखलहूँ
बेटीक बाप के घाम चुआबति
करैत बज्र सन छाती देखलहूँ
मांस आ मदिरा में डूबल रहि
कचरैत खूब बरियाती देखलहूँ
पीने आर पियौने जमि क सभके
व्यंजन परसति सरियाती देखलहूँ
नवकनियाँ के पाबय के बुझि क'
दूल्हा के फुदकति कांती देखलहूँ
मधुर स्वप्न स उबडूब मोने
गाबैत दुल्हिन के पराती देखलहूँ
जाहि मिथिला में वर राम सन
आर सीया सन अहिबाती देखलहूँ
ओहि मिथिला केर पावन माटि पर
बहैत शराबक परिपाटी देखलहूँ
---राजीव रंजन मिश्र
बेलूर,कोलकाता
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