किछु हाइकू सावन आ बरषा पर:
बुन्न बसात
गाछ विरिक्ष बिन
जिवन सुन्न !!
सावन मास
छायल हरियाली
पानि परिते !!
मेघ बरसै
लहलहैल गाछ
भीजल बाट !!
गाछ पातक
हरियैल रंगत
बुन्न परैत !!
बाट आ बृक्ष
पाबि मेघक स्नेह
विह्वल भेल !!
सुधाए बुन्न
गाछ-विरिछ लेल
मोन रभसे !!
खिलैत फूल
इतराइत पात
सौजन मेघ !!
मेघक बुन्नी
गाछ-वृक्ष आ बाट
आंखि-मिचौली !!
सावन मास
मनसिज सरिस
सुलगे मोन !!
निविल मेघ
सौदामिनी चमकै
माहि-मंडित !!
निशि-वासर
झहरैत बरषा
भासल गाम !!
राजीव रंजन मिश्र
१०.०७.२०१२
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