Saturday, November 17, 2012


    बाल  गजल-३

पढतै लिखतै बौआ डाक्टर बनतै 
माय बाबुक कष्ट निवारक बनतै  

दिन पलटतय हमरो सबहक  
घर परिवारक ओ पालक बनतै

लक्षण करम एकर लागैत अछि 
बौआ एक दिन कुलतारक बनतै       

मोनक हमरो सुनथिन भगवान
बौआ सब रुपे ध्वजबाहक बनतै

माय बहिन खानदानक पुरतय
बौआ सौंसे गामक उद्धारक बनतै

बढ़तय दिन दुना राति चारिगुन्ना 
ओ संकट मोचक निस्तारक बनतै

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-  १४ )
राजीव  रंजन  मिश्र  

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