Saturday, November 17, 2012


गजल-९ 
जीवन में काज कए बुझाबय के बात करी 
राग द्वेष त्यागि स्नेह निभाबय के बात करी 

दोसरक दोष देखि देखि जीवन बितायल 
आब अप्पन दोष पतियाबय के बात करी 

दैव संसार कए बनाओल नीक बेजाय सँ 
चेष्टा कए सभके संग लाबय के बात करी 

राखी मिठ्ठ बोल नै उंच-नीचक करी विचार 
सभके लए समाज बनाबय के बात करी 

संग रही कर्म करबाक काल समर्पित भ'
हम छुछ्छो अधिकार नै पाबय के बात करी 

'राजीव' समस्याक निदान करी विवेक राखि
नै बिना बातक लाठी उठाबय के बात करी 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१७)
राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment