रातिक अन्हार
शान्त वातावरण
उद्विग्न मोन
आब की जे हेतेय !
कोना हेतेय
की जे करी हम त
चिन्तन मुक्त
रहि सकी निश्चीन्त
आ ख़ुशी मोन स !
बड्ड सोचल
आ विचारल गेल
नहि निष्कर्ष
भेटल आ हारि क
छोड़ल अहि के !
याह विचारि
जे क सकी से करी
आ बाकी सब
परमात्मा के इच्छा
सबहक़ मालिक !
राजीव रंजन मिश्र
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