Saturday, November 17, 2012


                   बाल गजल-६ 

भोरहिं भोर उठल बौआ अंगना में खेलय छै 
भूलि बिसरी कए सभटा चारू कोने दौरय छै 

ओकरा ने कोनो मतलब ककरो सँ कखनहु 
दौरि धुपि थाकै जखने भूख लगै त कनय छै 

बौआ खुर खुर दौरय आँगन आर दरवज्जा 
बाबा के देलहा डाँरक् टुनटुनिया बाजय छै

देखइ बाबा दाइ कक्का आ दीदी सभ विभोर भ 
बौआ सभके तोतर बोली में बात सुनाबय छै 

माँ चौका सए घोघ तानि ऐली बाटी में दूध लेने 
देखि परैल कोन्टा पर माँ बौआ के नीहोरय छै 

बाबु आनि उठा कोरा में चूमि चाटी क नीक जकाँ
बैसेला ओकरा माय ठन ओ तैय्यो अकरय छै 

माय हूलसि कए चुचकारि नेन्ना के कोरा लए
घोटे घोंट दूध पियाबै बौआ पिबै बोकरय छै 

राजीव अनुपम छवि बिलोकि माय सन्तानक
विभोर भ मायक पैर पर माथ झुकाबय छै 

(सरल वार्णिक बहर)
     वर्ण-१८
राजीव रंजन मिश्र 

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