Saturday, November 17, 2012


एक टा मैथिल बालक के भगवान राम- जानकी सँ अपना भावी जीवन के  लेल विनय :

हे राम सिया  
वरदान दियह 
बस  हमरा
अग्यान नहिं  घेरै
सत टा के बखानी !!

हम बालक
जन्महिं सँ निश्छल
ऊँच -नीच के
ग्यान नहिं हमरा
जाति-पांति नै मानी !!

अप्पन लोक 
कि आन होय क्यौ  
सबके संग 
रही प्रेम भाव स 
भेद-भाव नै जानी !!

नेन्नापन सँ
रही हम निड्डर 
बनी तेजस्वी 
कायरता छोङि क
करी सैह जे ठानी !!

बात-विचार
भीष्म सरिस हौक
दृढ प्रतिग्य
रही भ सदिखन
विदुर सन ग्यानी !!

बुद्धि विवेक
मेहनत स पाबी
जतबा हम 
ततबे मे निमही
छिनि-छानि नै आनी !!

सबस बेसी 
मनुक्ख बनि जीवी 
मान-मर्यादा 
वहन करी नित
सबके सम मानी !!

सुजस करी 
सौंसे जग भरि में
माय-बापक 
फलथि -फुलैथ माँ
मिथिले  महरानी !!

राजीव रंजन मिश्र
१८.०७.२०१२

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