एक टा मैथिल बालक के भगवान राम- जानकी सँ अपना भावी जीवन के लेल विनय :
हे राम सिया
वरदान दियह
बस हमरा
अग्यान नहिं घेरै
सत टा के बखानी !!
हम बालक
जन्महिं सँ निश्छल
ऊँच -नीच के
ग्यान नहिं हमरा
जाति-पांति नै मानी !!
अप्पन लोक
कि आन होय क्यौ
सबके संग
रही प्रेम भाव स
भेद-भाव नै जानी !!
नेन्नापन सँ
रही हम निड्डर
बनी तेजस्वी
कायरता छोङि क
करी सैह जे ठानी !!
बात-विचार
भीष्म सरिस हौक
दृढ प्रतिग्य
रही भ सदिखन
विदुर सन ग्यानी !!
बुद्धि विवेक
मेहनत स पाबी
जतबा हम
ततबे मे निमही
छिनि-छानि नै आनी !!
सबस बेसी
मनुक्ख बनि जीवी
मान-मर्यादा
वहन करी नित
सबके सम मानी !!
सुजस करी
सौंसे जग भरि में
माय-बापक
फलथि -फुलैथ माँ
मिथिले महरानी !!
राजीव रंजन मिश्र
१८.०७.२०१२
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