ककॆशा नारि
मृदुभाषी पुरूष
दैव रक्षक !!
मृदुभाषी पुरूष
दैव रक्षक !!
पति आ पत्नी
आपसी सामंजस्य
सुखी संसार !!
आपसी सामंजस्य
सुखी संसार !!
सखा सन्तान
संस्कार विहीन
ब्यर्थ जीवन !!
आजुक युग
जाति पातिंक भेद
घोर अज्ञान !!
जाति पातिंक भेद
घोर अज्ञान !!
उंच-नीच नै
क्यौ एहि जग में
रूप रंग सँ !!
बुद्धि विचार
टा बस परिचय
मनुक्ख लेल !!
धनी-निर्धन
भगवानक घर
एक समान !!
कर्मक फल
पायब अही ठाम
निश्चित रुपे !!
ध्यान रहय
आचार विचार सँ
समान रही !!
राजीव रंजन मिश्र
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