नाला
नाला नाम छी
घृणित संबोधन
रद्दी फेकैथ
हम बहा ल जाय
लोकक जीवन सँ !!
सगरे गांव
घरे-घरे होइत
समटईत
सबहक घरक
उत्सर्जल विकृति !!
जरुरी थिक
हमर रहनाई
तैय्यो लरैथ
जग्गह कपछैत
सगरो घिनबैथ !!
जौ बिलमलौं
कखनो कत्तहूँ त
घिना जायत
पूरा वातावरण
नाक मुनि रहब !!
तात्पर्य याह
जे आदर्श ओ थिक
जे भागय नै
खराबो के बहा क
करय उपकृत !!
राजीब रंजन मिश्र
१०.०७.२०१२
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