बाल गजल -४
माँ गै आइ बता किया चंदा में कारी छै
हमरा कह किया सवाल ई भारी छै
देखल सदिखन तोरा काज करैत
मुदा बैसल बाबु कियाक बेगारी छै
हम्मर अंगा सभ फाटल पुरान आ
तोरो त बस गानल दुय्ये टा सारी छै
सब खाय अपन घर नीक निकुद
हमरा लेल किया जे नून सोहारी छै
भातक संग अगबे सन्ना सब दिन
दाईलो राहरिक बदले खेसारी छै
कनिके टा घर दुआरि अपन छैक
आँगन में नहि एक्क्हू टा गै-पारी छै
बुझी हमहूँ सबटा नहिं नेन्ना छी गे
जे ई सभटा टाका केर मारामारी छै
हमहूँ पढ़बै आ बड्ड पाई कमेबै
लिखल तोरो भागे महल अटारी छै
धीरज राखि तू जीबैत रह माय गे
बेटा तोहर बुझै सब बुधियारी छै
(सरल वर्णिक वर्ण-१४)
राजीव रंजन मिश्र
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