गजल २७
आउ हमहूँ नब गीत गाबी
संग चलि कए डेग बढाबी
जग बढ़ल बड्ड दूर तक
हम छूटब नहिं संग धाबी
लोक पहुँचल चंद्रमा पर
झगरे अहाँ हम फरियाबी
मोनसँ जौं हम ठानि राखब
कोनो रूपे ने अछि कम दाबी
बड्ड कैल हम कुकूर चालि
मिथिलाक' मिलि सभ सजाबी
सभ अछैते रहल बारल
बूझी सुनि सहेटि ज्ञान लाबी
छोड़ी आब मोनक पूर्वाग्रह
ई मिथिला महोत्सव मनाबी
"राजीव" गोहरै सभ गोटकँ
चलू मिलिकँ अधिकार पाबी
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-११)
राजीव रंजन मिश्र
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