Sunday, December 9, 2012


मैथिलि गजल 

ई बात कोना कहू कि बात की भेलय 
ई राग कोना फेर हठात की भेलय 

जखन भी बात कोनो अहाँक उठल
नहिं जानि कोना जे बसात की भेलय 

सभक्यौ पलटि गेला बातसं कहल 
राति कहैथ किछु परात की भेलय 

सभ काज करै सगरो मदमातल 
ने पुछु निकहाक बिसात की भेलय 

दही जन्मैत  अछि बिलारिक हाथे 
कहत के देशक जिरात की भेलय 

सभ भागि रहल नीक गुण छोडिकं 
शुभ रात्रि छोडू सुप्रभात की भेलय  

"राजीव" ने जानि कतय जा थम्हत ई
ब्याहलक छोड़ू मसोमात की भेलय    

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-14)

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