गजल-
दैव हौ लीखल हम एक टाक' देखल
राम हौ घटना सभतरि जाक' देखल
राम हौ घटना सभतरि जाक' देखल
पाबिकँ सभटा चीज जगत केर लोक
बौरल आ अपने हाथ हराक' देखल
बौरल आ अपने हाथ हराक' देखल
गज भरि ने छोङल ककरो कखनहुँ
मुदा निज करमे थान गवाँक' देखल
खन भरि मे आकाश चढल बोल बजै
दोसरे खन छल माथ खसाक' देखल
मुदा निज करमे थान गवाँक' देखल
खन भरि मे आकाश चढल बोल बजै
दोसरे खन छल माथ खसाक' देखल
छल सभ तरहे निक हेबाक जकर
तकरात' राखैत डेग बचाक' देखल
तकरात' राखैत डेग बचाक' देखल
हँसै गाबै सदिखन "राजीव" मगनभ'
भेटत नइ किछु नोर बहाक' देखल
भेटत नइ किछु नोर बहाक' देखल
(सरल वर्णिक बहर,वर्ण-१५)
राजीव रंजन मिश्र
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