ये मत पुछो उनके पिछे रात गुजारी हमने कैसे
पुछो मेरे घायल दिल से घात किया मिल सबने कैसे
पुछो मेरे घायल दिल से घात किया मिल सबने कैसे
पत्थर इस दिल पर रखकर चलते रहे अंगारो पर
गाज गिरी थी अरमानो पर संजोये अब सपने कैसे
गाज गिरी थी अरमानो पर संजोये अब सपने कैसे
चोट थी उनकी सख्त बङी और शीशे का दिल मेरा
क्या बतलाऊँ झेले हमने हैं जीवन में अङचने कैसे
क्या बतलाऊँ झेले हमने हैं जीवन में अङचने कैसे
उस संगदिल के क्या कहने जो चाक जिगर के कर डालेे
देख वो लेते काश पलट कर बहते आँखो से झरने कैसे
देख वो लेते काश पलट कर बहते आँखो से झरने कैसे
बिगङा कुछ भी नहीं अभी “ राजीव" सम्हल जा अब भी तू
जिनके दिल मे अहसास नहीं उनसे लङने और झगङने कैसे
जिनके दिल मे अहसास नहीं उनसे लङने और झगङने कैसे
राजीव रंजन मिश्र
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