गजल ३२
टूटल अछि करेजक बल सम्हारब आब कोना हम
फेटल अछि सिनेहक छल निमाहब आब कोना हम
फेटल अछि सिनेहक छल निमाहब आब कोना हम
सोचल छल बड्ड किछु बात मोनहि गोए राखल सभ
देखल सभ सपनाक क्षण जोगारब आब कोना हम
थम्हल जहन पवन कर तेज विर्रो तहन बुझलौं
भरल सभतरि छल्ह गर्दा बहारब आब कोना हम
छलौं हम आसमँ सदिखन हवाक कोण बदलत यौ
लागल आगि सघन सगरो मिझायब आब कोना हम
बैसल आब सबहक सुनि रहत चुप नै "राजीव"
मारल मोन कचोटक पल गुजारब आब कोना हम
मारल मोन कचोटक पल गुजारब आब कोना हम
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-२१)
राजीव रंजन मिश्र
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