Sunday, December 9, 2012


चलय बड्ड मारूक पुर बा  छै
बजय बड्ड काजुक बुढबा छै
बात करै पाकल सन एहन
लागय रटल सब सुगबा छै
धिया पुता कए तेज करयला
मारै सभतरि सभ ठुनका छै
गोय  राखल तरे तर सभटा ै
बाजै ने आजुक मुहँनुकबा छै
लागल सगरो फुसियाबय मेे
काजे टा याह साँझ भोरूकबा  छै
कैल धैल बूरिलेल सभक आ
भोगय सभटा बूझनुकबा छै
संच मंच भए बैसल काबिल
नचबै सभकँ खूरलुचबा छै
“राजीव" ने देखै दिन पलटैत
लागै सपना भुकभुकबा छै
छप्पन प्रकार हौक एक दीस
अजब सुअदगर भुसबा छै

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