गजल-२७४
गाछी बिरछी जलमंडल थिक
ककरो नै भेलय क्यौ जगमे
अपने मोनक टा संबल थिक
अगबे फुइसक दौगाभागी
अनढनकेँ ठानल दंगल थिक
मोनक टा सुनलक माथक नै
नै मानल जे हिय चंचल थिक
मोटा नै बेसी राजीवक
लोटा छिपली आ कंबल थिक
२२२ २२ २२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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