गजल-२७७
हे देह धरि सिहैक जाइ छैक
बदरी जखन छलैक जाइ छैक
बारीकँ साग चारि बुन्न पाबि
बड़ सोन्हगर गमैक जाइ छैक
कखनोकँ माति जैब तेहने कँ
जे डाँर से लचैक जाइ छैक
मोनक कि दोष पाबि नेह धार
बतहा जकाँ सहैक जाइ छैक
राजीव भांग लाजवाब चीज
खेने हिया फरैक जाइ छैक
२२१२ १२१ २१२१
@ राजीव रंजन मिश्र
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