गजल-२६७
बिनु मिजाजो मुदा क्षणिक काबिल
बात मानल कहल सुनल लोकक
हैत सेहो कनी कनिक काबिल
बाजि बड़ कम सुनल कहब अनकर
ओ तँ बाबू बड़ी रसिक काबिल
बाजलक आ निभा चलल सरिपहुँ
भेल ने से तखन सहिक काबिल
सत्त राजीव यैह सभदिनका
बूरि मरय अछि सदति अधिक काबिल
२१२२ १२ १२२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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