गजल-284
देरसँ आ किछु बिलमि कँ
धरि असर हैत जमि कँ
धरि असर हैत जमि कँ
रंग हयौ मेहदीक
तान धरै छैक थमि कँ
तान धरै छैक थमि कँ
लोक गजल गुनगुनैत
बैस कँ आ बेस रमि कँ
बैस कँ आ बेस रमि कँ
हारि कँ नै कात हैब
डेग ध'रब बाट गमि कँ
डेग ध'रब बाट गमि कँ
माँझ दँ राजीव जैब
ठाढ़ रहब नै सहमि कँ
ठाढ़ रहब नै सहमि कँ
२११२ २१२१
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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