गजल-२८०
कटनी करै छी बेर बेर
गिट्टी पजेबा जोड़ि तोड़ि
गँथनी करै छी बेर बेर
अनमोल थिक ई नेह तैँ तँ
संगी करै छी बेर बेर
दुख सुख मनुखकेँ बाँटबाक
गलती करै छी बेर बेर
विधना अहीँ पर क्षार भार
विनती करै छी बेर बेर
मानय अपन छी दोष एक
नेकी करै छी बेर बेर
राजीव नै धरि थिक मलाल
जे की करै छी बेर बेर
२२१२ २ २१२१
@ राजीव रंजन मिश्र
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