गजल-272
एखन की भेल हँ एखन आर हएत
हाथक नै पैरो तरका पार हएत
हाथक नै पैरो तरका पार हएत
लागल रहू चम्मच बेलन सभकेँ संग
जे वोट जितला पर धारोधार हएत
जे वोट जितला पर धारोधार हएत
ई बादमे टरटर कैने बेंग जकाँ कि
घुरियो कनी देखत आ रखबार हएत
घुरियो कनी देखत आ रखबार हएत
छल यैह टा बाँचल भरिसक भजार
गरियैल जनसाधारण देखार हएत
गरियैल जनसाधारण देखार हएत
यौ जे ननू से छल गर्भहिँसँ ननू भ'
राजीव ओ छीनत जे बुधियार हएत
राजीव ओ छीनत जे बुधियार हएत
2212 2222 21121
© राजीव रंजन मिश्र
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