गजल-266
काया टाकेँ मेल नै
दू आत्माकेँ खेल नै
दू आत्माकेँ खेल नै
शाश्वत थिक ई नेह यौ
कहि देने टा भेल नै
के छूटल तिहुँ लोकमे
जे ई बाटे गेल नै
जे ई बाटे गेल नै
सभ तरहक ऐ ठाम सुख
धरि बेकारक लेल नै
धरि बेकारक लेल नै
काबिल जे राजीव से
बुझलक भाँटा बेल नै
बुझलक भाँटा बेल नै
2222 212
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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