गजल-282
बैसल छी गुमसुम फुरा नै रहल किछु
बीतल जे बचपन मजा नै रहल किछु
बीतल जे बचपन मजा नै रहल किछु
धानक ओ आँटी कि खेतक मड़ैय्या
घुरि फिरि जे ताकी सखा नै रहल किछु
घुरि फिरि जे ताकी सखा नै रहल किछु
आमक ओ टिकुला कि थुर्री लतामक
अरनेबा झक्खा कहाँ नै रहल किछु
गामक ओ मैय्याँ कहाँ आइ गेलै
कचड़ी आ झिल्ली बना नै रहल किछु
अरनेबा झक्खा कहाँ नै रहल किछु
गामक ओ मैय्याँ कहाँ आइ गेलै
कचड़ी आ झिल्ली बना नै रहल किछु
भेटल ई राजीव जीवन सुखक धरि
जिनगीमे कनियो बुझा नै रहल किछु
जिनगीमे कनियो बुझा नै रहल किछु
२२ २२२ १२२ १२२
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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