गजल-270
के सहत किछु आ किए जे
बेकहल सभटा किए जे
बेकहल सभटा किए जे
हिय जरा सभकेँ कहू ने
चलि रहल दुनियाँ किए जे
चलि रहल दुनियाँ किए जे
मरि रहल धरि भान ने किछु
ई घृनित चरजा किए जे
ई घृनित चरजा किए जे
नै कथूकेँ सोच रहलइ
नै विवेको हा किए जे
नै विवेको हा किए जे
अछि बचल राजीव कोना
युग बढनिझट्टा किए जे
युग बढनिझट्टा किए जे
2122 2122
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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