गजल-२९०
कथी कहि रहल जे ई मौसम सुनूँ ने
बरसि जे रहल अछि ई सौनक फुहारा
तकर धुन नचा देलक छमछम सुनूँ ने
छी* मधुश्रावनीकेँ ई बेला रमनगर
पिहानी सिनेहक टा अनुपम सुनूँ ने
सजल फेर झूला छै यमुनाकँ कातें
मयुर आ पपीहाकेँ सरगम सुनूँ ने
सगर फूल पसरल छै गमगम सुवासित
मधुप सन उताहुल भेलौँ हम सुनूँ ने
समौने अहीँकेँ छी राजीव हियमे
अहीँमे समायल छी हरदम सुनूँ ने
* तेसर शेरमे एक टा दीर्घकेँ,लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।
१२२ १२२ २२२ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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