गजल-२७८
आँखि लाजे टा किछु झुका देने
चर्च रूपक छल राति मजलिसमे
एक झलकी टा बस लखा देने
चानकेँ मोजर चांदनी बुझलक
आन के बूझल बड़ बुझा देने
चालि मारल आ बैन मोहल हिय
बाण मारुक जे छल चला देने
बाट जोहल राजीव जिनकर सभ
ओ तँ हमरे टा छल पता देने
२१२२२ २१२२२
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment