गजल-३१२
इरषा करै छै घात अपने
साकिम करै उत्पात अपने
साकिम करै उत्पात अपने
से कालकेँ फेरी परै जे
माझो परै छै कात अपने
माझो परै छै कात अपने
जे संग नै छल लोक वेदक
से उघि रहल अछि लात अपने
से उघि रहल अछि लात अपने
अनका बुझाबै लोक बड धरि
क्यौ बुझि सकल ने बात अपने
क्यौ बुझि सकल ने बात अपने
राजीव सदिखन जानि राखब
फटियेबमे थिक मात अपने
फटियेबमे थिक मात अपने
२२१२ २२१ २२
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment