गजल-३११
दी प्रभू अतबे कमाइ हमरा
सत उचित सदिखन फुराइ हमरा
सत उचित सदिखन फुराइ हमरा
दै खऱरि सभटा खरापकेँ जे
भेटि जै बस ओ सलाइ हमरा
भेटि जै बस ओ सलाइ हमरा
लाभ आ नुकसानकेर टा गप
कहि रहल दुनिया कसाइ हमरा
कहि रहल दुनिया कसाइ हमरा
नीक बा बेजै अहाँक जनतब
हम कथी दस टा बुराइ हमरा
हम कथी दस टा बुराइ हमरा
कृष्ण टा राजीवकेँ सहारा
देत की जगती विदाइ हमरा
देत की जगती विदाइ हमरा
212 22 121 22
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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