गजल-३१९
बऱी गजब कँ बात छैक
विवेकशील कात छैक
विवेकशील कात छैक
चढल मिजाज राखबाक
बहल नवल बसात छैक
बहल नवल बसात छैक
समाज राति पीठ ठोकि
मुकरि रहल परात छैक
मुकरि रहल परात छैक
सुखा रहल फुलैल फूल
उदास गाछ पात छैक
उदास गाछ पात छैक
निपटि जँ एक टा कँ लेब
तँ ठाढ आर सात छैक
तँ ठाढ आर सात छैक
विवेक राजीवक जजात
उछाह टा बुतात छैक
उछाह टा बुतात छैक
1212 121 21
©राजीव रंजन मिश्र
©राजीव रंजन मिश्र
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