गजल-३०९
बहुत नादान छै खुनिया हमर
हमर धरि प्रान छै खुनिया हमर
हमर धरि प्रान छै खुनिया हमर
बऱी कोमल मधुर मिठगर सुरक
तँ छेऱल तान छै खुनिया हमर
तँ छेऱल तान छै खुनिया हमर
गमक फूलक चमक सूरूज सनक
सुशीतल चान छै खुनिया हमर
सुशीतल चान छै खुनिया हमर
सगर दिस हाय तौबा मचि रहल
मुदा अनजान छै खुनिया हमर
मुदा अनजान छै खुनिया हमर
बुझल राजीव छै सभकेँ सगर
सुवासित पान छै खुनिया हमर
सुवासित पान छै खुनिया हमर
*खुनिया =कातिल
12 2212 2212
©राजीव रंजन मिश्र
©राजीव रंजन मिश्र
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