गजल-३२३
जते ई सर्जना छी मनुखकेँ कल्पना छी
भने क्यौ बाजि दै किछु मुदा सत यैह टा छी
भने क्यौ बाजि दै किछु मुदा सत यैह टा छी
रहै ओहो जमाना कटै छल बाटमे दिन
जखन की आब देखू कते साधन बला छी
जखन की आब देखू कते साधन बला छी
अनेरों दंभ फुइसक अपन आसन वसनकेँ
कि सभटा देल दैवक कथी किछु हम अहाँ छी
कि सभटा देल दैवक कथी किछु हम अहाँ छी
नदीकेँ धारमे वा पहारक पेटमे हो
मनुखकेँ डेग पहुँचल जगतमे सभ ठमा छी
मनुखकेँ डेग पहुँचल जगतमे सभ ठमा छी
उठौलक डेग भारत सफल अभियान मंगल
मुबारकबाद इसरो बहुत शुभकामना छी
मुबारकबाद इसरो बहुत शुभकामना छी
उठू राजीव टारू अपन भाभटकँ जाजिम
कमी बस एक सदिखन मिथा अभ्यर्थना छी
कमी बस एक सदिखन मिथा अभ्यर्थना छी
122 2122 122 2122
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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