गजल-३१५
किछु नीको जे खराबे लागै
अपना सोचक दुआरे लागै
अपना सोचक दुआरे लागै
ओना अपना हिसाबे सभकेँ
आनक आनन कनाहे लागै
आनक आनन कनाहे लागै
गुम छी दुनिया तँ बुझलक नै जे
बजने बेसी प्रचारे लागै
बजने बेसी प्रचारे लागै
बेसी बुझबाक दाबी बाबू
नै सहजे धरि अनेरे लागै
नै सहजे धरि अनेरे लागै
बुझनाहर यैह सभदिन कहलक
कहनाहर धरि बताहे लागै
कहनाहर धरि बताहे लागै
सभटा राजीव निकहा अरजल
अधलाहा धरि कपारे लागै
अधलाहा धरि कपारे लागै
२२२२ १२२ २२
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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