गजल-३१४
फूलक गमक भरल हो
जीवन सजल धजल हो
जीवन सजल धजल हो
चमकी अहाँ नखत सन
गति मति सहज सरल हो
गति मति सहज सरल हो
अगहनकँ मासमे जनि
पुरवा सरस बहल हो
पुरवा सरस बहल हो
बोली अहाँक मिठगर
आ बानगी चढल हो
आ बानगी चढल हो
गुन रूप शील संगे
गदगद हिया सबल हो
गदगद हिया सबल हो
राजीव कामना जे
ऊँचाइ नित नवल हो
ऊँचाइ नित नवल हो
2212 122
©राजीव रंजन मिश्र
©राजीव रंजन मिश्र
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