गजल-३०६
ओ खोज नै कैला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
घुरियो कँ नै तकला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
घुरियो कँ नै तकला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
हम ठाढ़ नित सदिखन रही सुनबाक खातिर धरि
दू शब्द नै कहला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
दू शब्द नै कहला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
जखने कहल किछुओ तँ ओ बस कान कुकुऔला
नै आइ धरि सुनला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
नै आइ धरि सुनला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
कहबाक खातिर ढेर ढाकी नेह छल हुनको
धरि रोकि नै सकला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
धरि रोकि नै सकला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
राजीव अछि अपसोच अतबे आइ हमरा ओ
बुझियो कँ नै बुझला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
बुझियो कँ नै बुझला कहै छथि हम बिसरि गेलहुँ
२२१ २२२ १२२ २१२ २२
© राजीव रंजन मिश्र
© राजीव रंजन मिश्र
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