बाल गजल-11
तू आगू आगू चल भैया,पाछू पाछू चलबै हम
जखनेकँ तू कह्बैं तखने पुक्की पारबै हम
गाड़ी खुजतै मधुबनीसँ, दरिभंगा धरि जेतै
जकर मोन से चढ़तै,ककरो ने रोकबै हम
दीदीयो के हम संग लेबै आ जेबय नानीगाम
नानी हाथक मिठका पुआ खूब कचरबै हम
तू ने आगू भगिहैं भैय्या, दौगल हैत ने हमरा
हाथ जौं छोड़लें त' बुझि ले,बाबूकँ कहबै हम
खेला धुपाकँ,अंगना फिरबै हमहूँ तोरे संगे
भैय्या सत्ते मोन लगाकँ तोरे जकां पढ़बै हम
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-18)
@ राजीव रंजन मिश्र
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