गजल -३१
ऐल बसन्त जागल जगती यौ
भेल दिगन्त मातल धरनी यौ
लोक धरथि नब नब रंग रूप
चालि सारंग धारल रमणी यौ
रौद हँसति खल खल मिठगर
फूल फलक लौटल रंगती यौ
मंद सुगन्ध पवन बह निर्मल
गाबि उठल सोहर परती यौ
रूप प्रकृति "राजीव" सजलछै
बदलल ने कनिको करनी यौ
@ राजीव रंजन मिश्र
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