Saturday, February 16, 2013

अपने लोकनिक सोझा परैस रहल छी एक गोट गोपी-उद्धव संवादक गीत,अपने लोकनिक स्नेहाकांक्षी रहब। हार्दिक आनुरोध जे ज्ञानी-गुणी जन अपन विचार आ सलाह दए हमरा कृतार्थ करी :

जो रे जो तौं दूर पवनमा,किछु ने नीक लगैय्या!
माधव संग हम नेह लगाकँ,लेलहुं कोन बलैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

कोयलिक कुहकब टीस जगाबै,राग रागिनी मोन अकुलाबै
बुझि सकल ने हम जुल्मीकँ,आब करब की हम गे दैय्या !
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

खनहिं मोनकँ हम बुझाबी,घुरि औता ओ आस लगाबी!
ईयाद पड़त हुनका फेरोसँ,यमुना तीर कदम्बकँ छैय्यां!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

राग रागिनी जुटल बसन्तक,निधिवन सुन्नर खूब सजल अछि!
शीतल मंद पवन बहै मारुक,बिहुसि रहल अछि ओ बिहुसैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

कोयल कुहकि रहल मधुबन मे,मयूर मगनभ' नाचि रहल अछि
भँवरा रभसि रहल फूल पर,सिसकि रहल शीतल पुरवैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ ........

हे सखि!आह कहब हम ककरा,मोनक पीड़ सुनाएब ककरा!
हारल नैना बाट जोहि जोहि,ऐला ने कृष्ण कन्हैया!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

उद्धव तोहँ कहब हम काह,दैव कोना कैला अधलाह!
बिनु करिया ने मोन लगैत अछि,जीवन कष्टक बनल तलैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .....

जाह जाह तौं उधो जाह,पांति पांतिक' दिहक सुनाह!
हमरा कांटक सेज सुताकँ,लेला अपने फूलक शैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .....

हम ने तंग करब तोहे माधब,पर तोरा बिनु कोना निमाहब!
हम एनाहिते रहब निठोहर,सिनेहक ने थिक क्यौ सुनबैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......

छोऱि गैला जे ब्रज यदुनन्दन,कैला "राजीव" दारुण क्रन्दन!
मुदा बुझी अहि बातकँ उद्धव,माधब सगरो जग रखवैय्या!!
माधव संग हम नेह लगाकँ .......


@ राजीव रंजन मिश्र 

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