जब बात चली जज्बातों की,वो दौर पुराने याद आये
दिन रात कठिन हालातों में,वो मस्त तराने याद आये
जिक्र कभी जब होता है,महफिल में इश्क मोहब्बत की
नूर भरे सुरमई आँखों के,वह स्वप्न सुहाने याद आये
दिन कट जाते हैं पल भर में, फिर शाम ढले खामोशी से
यादों की मिठी कसक लिए,वो सारे फँसाने याद आये
कहते हैं चीज बुरी है मय,जलता है जिगर यह पीने से
दिल के मारे को यार मगर,पग पग मैखाने याद आये
"राजीव" जहाँ को कद्र कहाँ,रिश्तों में छुपी उन बातों की
जब जब मुङकर देखा पिछे,दिलकश नजराने याद आये
राजीव रंजन मिश्र
दिन रात कठिन हालातों में,वो मस्त तराने याद आये
जिक्र कभी जब होता है,महफिल में इश्क मोहब्बत की
नूर भरे सुरमई आँखों के,वह स्वप्न सुहाने याद आये
दिन कट जाते हैं पल भर में, फिर शाम ढले खामोशी से
यादों की मिठी कसक लिए,वो सारे फँसाने याद आये
कहते हैं चीज बुरी है मय,जलता है जिगर यह पीने से
दिल के मारे को यार मगर,पग पग मैखाने याद आये
"राजीव" जहाँ को कद्र कहाँ,रिश्तों में छुपी उन बातों की
जब जब मुङकर देखा पिछे,दिलकश नजराने याद आये
राजीव रंजन मिश्र
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