चेहरा तेरा ऐ हुस्नपरी खिलता गुलाब सा
मुखड़ा तेरा ऐ गुलबदन ज्यों आफताब सा
मुखड़ा तेरा ऐ गुलबदन ज्यों आफताब सा
रोशन तेरे ही हुस्न से होती है कायनात
चाँद रात में खिले उस माहताब सा
चाँद रात में खिले उस माहताब सा
कैसे जिये भला कोई सहकर जुदाई तेरी
तेरा नशा ऐ दिलरूबा छलकता शराब सा
तेरा नशा ऐ दिलरूबा छलकता शराब सा
तसव्वुर से तेरे ऐ नाजनीं,बजती है घंटियाँ
मदहोशी है तेरे होने की एक लाजवाब सा
मदहोशी है तेरे होने की एक लाजवाब सा
तबस्सुम तेरे लबों की ढा जाय यूँ कहर
जीवन लगे है "राजीव" हसींन ख्वाब सा
जीवन लगे है "राजीव" हसींन ख्वाब सा
राजीव रंजन मिश्र
तसव्वुर
खयाल, विचार, याद
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