गजल-२०९
फुलबारीमे फबि रहल से फूल अहाँ सदिखन
अपना दुनियामे रहू मसगूल अहाँ सदिखन
अपना दुनियामे रहू मसगूल अहाँ सदिखन
विर्रो कतबो ने भयाबह रूप लखा दै धरि
ढठ्ठा बान्हब आ रहब अनुकूल अहाँ सदिखन
ढठ्ठा बान्हब आ रहब अनुकूल अहाँ सदिखन
ढाठी धेने काज ने होएत सफल कोनो
बुझि ई राखब आ जुटब सामूल अहाँ सदिखन
बुझि ई राखब आ जुटब सामूल अहाँ सदिखन
दुनियादारीकेँ निमाहयमे बेस मसक्कति धरि
राखब पाइन आँखिमे नै शूल अहाँ सदिखन
राखब पाइन आँखिमे नै शूल अहाँ सदिखन
जगती डाढ़ल छैक नित राजीव समस्याकेँ
प्रश्नक उत्तर टा बनब माकूल अहाँ सदिखन
प्रश्नक उत्तर टा बनब माकूल अहाँ सदिखन
२२२२ २१२ २२१ १२२२
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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