गजल-२१४
सदिखन अहाँ नै रूसल करू
मोनक हमर दुख बूझल करू
मोनक हमर दुख बूझल करू
बिसरल अपन छी हम सोह तैँ
हालत हियक नै पूछल करू
हालत हियक नै पूछल करू
हम टूटि गेलहुँ से ठीक धरि
कथमपि अहाँ नै टूटल करू
कथमपि अहाँ नै टूटल करू
दिन काल बड़ थिक बेकार सन
आँचर खसा नै घूमल करू
आँचर खसा नै घूमल करू
राजीव हारल छी आपमे
आंगुर उठा नै दूसल करू
आंगुर उठा नै दूसल करू
2212 22212
@ राजीव रंजन मिश्र
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