गजल-२२४
अपने मोने नित बहुत रास भेने
काबिल टा ओ नै जे मतल शानमे छी
नीको नै सदिखन मधुर भास भेने
ओना काजक चीज थिक गाछ सभटा
अलगे धरि मोजर अमलतास भेने
जिनगी अहिना चलि सभक बीति जेतै
भेटत ने अगबे शिलान्याश भेने
आबो नै राजीव बूझब तँ कहिया
सगरो आ सभटा बिलटि नाश भेने
२२२ २२१२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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