बाल गजल-१२
पिछला दू रातिसँ कनिक देरीसँ लौटबाक चलिते बेटी दुनूसँ भेंट नै भेल छल्ह,मोनो लागल छल्ह आ आँखियो फुजि गेल त' छोटकी बेटी विजयलक्ष्मी (गोलू) लेल कहल ई बाल गजल,प्रेषित अछि अहाँ सभक सोंझा:
गोलू रानी सूतल छथि
उनटा मूँहेँ घूमल छथि
उनटा मूँहेँ घूमल छथि
बुझना जाइत अछि भरिसक
मोने मोने रूसल छथि
मोने मोने रूसल छथि
कखनो किछु नै खेतिह ई
छूछ्छे पेटे भूखल छथि
छूछ्छे पेटे भूखल छथि
गुऱिया लेने पाँजरमे
अपनेटामे डूबल छथि
अपनेटामे डूबल छथि
पप्पा ऐला सुनिते से
चटदनि कहली ऊठल छथि
चटदनि कहली ऊठल छथि
राजीवक दुलरी बेटी
बड बुझनुक आ गूथल छथि
बड बुझनुक आ गूथल छथि
2222 222
राजीव रंजन मिश्र
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